कोलकाता:
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने आज सवाल उठाया कि पुलिस ने चुनाव बाद हुई हिंसा के कथित पीड़ितों को राजभवन में प्रवेश करने से क्यों रोका, जबकि उनके कार्यालय ने इसके लिए आवश्यक अनुमति जारी की थी।
श्री बोस ने आज कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सरकार द्वारा हिंसा के पीड़ितों को राज्यपाल से मिलने से रोकना अक्षम्य कृत्य है।”
उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, “(बंगाल की) मुख्यमंत्री भारत के संविधान को बदनाम नहीं कर सकतीं। यह मौत का नृत्य है, पश्चिम बंगाल में जो कुछ हो रहा है, उसकी भयावहता है। आप खुद को चाहे जितना भी ऊंचा समझें, कानून आपसे ऊपर है।”
उन्होंने सुश्री बनर्जी को एक पत्र लिखकर यह स्पष्टीकरण मांगा है कि किस आधार पर पुलिस ने इन व्यक्तियों को उनसे मिलने से रोका।
श्री बोस ने बड़ाबाजार स्थित माहेश्वरी भवन का भी दौरा किया और लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर चुनाव के बाद हिंसा के आरोप लगाए हैं, जिसका राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने खंडन किया है।
पुलिस ने गुरुवार को भाजपा सदस्य और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और चुनाव बाद हिंसा के कथित पीड़ितों को राज्यपाल भवन के बाहर लागू सीआरपीसी की धारा 144 का हवाला देते हुए बोस से मिलने के लिए राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया था।
मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल बोस ने संवैधानिक प्रोटोकॉल का पालन करने के महत्व पर जोर दिया, खास तौर पर शासन और कानून से जुड़े मामलों में। उन्होंने राज्य सरकार से अपने कार्यों के लिए स्पष्टीकरण देने को कहा और उनके कार्यालय के अधिकार को कमतर आंकने के किसी भी प्रयास के खिलाफ आग्रह किया।